मैं हार गया हु दुनिया से

मैं हार गया हु दुनिया से,
मेरा श्याम सहारा कोई नही,
मजधार में डूब रही नैया नैया का किनारा कोई नही,
मैं हार गया हु दुनिया से....

रो रो कर सुख गई अखियाँ हर आशा मेरी टूट गई,
मुझको लगता है बाबा मेरी किस्मत ही मुझसे रूठ गी,
मैं ऐसा मुसाफिर हु जिसकी मंजिल का इशारा कोई नही,
मझधार में डूब रही नैया नैया का किनारा कोई नही,
मैं हार गया हु दुनिया से.......

गेरो से क्या करता मैं अपनों ने तोड़ दिया विशवाश,
जो मेरे बिना जी सकते है उनको भी नही आता मैं राज,
बस गम ही गम है जीवन में खुशियों का नजारा कोई नही,
मझधार में डूब रही नैया नैया का किनारा कोई नही,
मैं हार गया हु दुनिया से.......

तकदीर ने कैसा खेल रचा मैं ना ही जीयु मैं ना ही मरू,
तुमसे पूछे केशव बाबा अब तुम ही बताओ क्या मैं करू,
अब तेरे सिवा इस दुनिया में मेरे श्याम सहारा कोई नही,
मझधार में डूब रही नैया नैया का किनारा कोई नही,
मैं हार गया हु दुनिया से.......
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