ऐसी बंसी बजाई श्याम ने मेरी सूद विशराई श्याम ने,
नि मैं हुई दीवानी नि मैं हुई मस्तानी,
मेरी सूद विसराई श्याम ने,
मुरली की धुन जब पड़ी काननं में,
नींद ना आई श्याम मेरे नैनं में,
मेरी निंदिया उड़ाई श्याम ने बंसी बजाई श्याम ने,
ऐसी बंसी बजाई श्याम ने.......
मुरली की धुन सुन जिया लहराए,
उठे उमंग राहा ना जाए,
एसी मस्ती चढाई श्याम ने,
मेरी सूद विसराई श्याम ने,
यमुना किनारे श्याम बंसी बजाये,
एक एक सखी को नाच नचावे,
एसी रास रचाई श्याम ने मेरी सूद विसराई श्याम ने,
नि मैं हुई दीवानी नि मैं हुई मस्तानी,