मैया तेरा लाला ना माने कहीं, ना माने कहि,
फोड़ी मटकियां और खावे दही......
माने मत मैया तू या कि कहीं,
ना खाई मैंने या की नेकु दही,
मैया तेरा लाला ना माने कहीं, ना माने कहि,
फोड़ी मटकियां और खावे दही......
रोज गलिन में ठादो पावे,
ना बोलूं तो लड़वे आवे,
पहली सी आदत ना याकी रही,
फोड़ी मटकियां और खावे दही,
मैया तेरा लाला ना माने कहीं, ना माने कहि,
फोड़ी मटकियां और खावे दही......
झूठी कह रही ब्रज की छोरी,
मैंने मटकियां कबहुँ ना फोड़ी,
मोकु तो चटनी चटावे यही, चटावे यही,
ना खाई मैंने या की नेकु दही,
मैया तेरा लाला ना माने कहीं, ना माने कहि,
फोड़ी मटकियां और खावे दही......
परसों मेरी राह रोक के,
खूब लड़े मोसे ताल ठोक के,
बटवा दी ग्वालों में सबरी दही, सबरी दही,
फोड़ी मटकियां और खावे दही,
मैया तेरा लाला ना माने कहीं, ना माने कहि,
फोड़ी मटकियां और खावे दही......
बैर मान रही गोपी मोसे,
झूठी शिकायत कर रही तोसे,
कहता कन्हैया यह बात सही, बात सही,
ना खाई मैंने या की नेकु दही,
मैया तेरा लाला ना माने कहीं, ना माने कहि,
फोड़ी मटकियां और खावे दही......