एक भरोसा श्याम तुम्हारा और कहा हम जायेगे,
तुम मालिक बनकर के रहना हम नौकर कहलाये गए,
तुम जानू कैसे चलन है इस जीवन की नैया को,
राही फिर क्यों फ़िक्र करे जब चिंता आप खिवैया को,
पार लगाओ गए ही तुम ही जब लेहरो में गिर जायेगे,
एक भरोसा श्याम तुम्हारा .......
ये जो हुआ है मैंने किया है इसका भरम मिटाना तुम,
जब जब भी मैं एहम में डुबु मेरे पाप गिनाना तुम,
हम तो है माटी के पुतले फिर गलती कर जाये गए,
एक भरोसा श्याम तुम्हारा ....
सेवक इन चरणों का बन कर सवास स्वास कट जाये प्रभु,
नजर तुम्हारी पड़े तो बदल दुखो के छट जाये प्रभु,
पंकज कहता तुम को छोड़ अब किसको मीट बनाये गे,
एक भरोसा श्याम तुम्हारा .....