जिस घर में दादी का मंगल,
उस घर में केवल मंगल ही मंगल होता है,
गीता रामायण जैसा ये मंगल ,
मंगल से होते सारे दूर अमंगल,
मंगल मैया जी को लगता है प्यारा,
मंगल ने लाखो का जीवन सवार,
मंगल के भावो में जो खुद को डुबोता है,
उस घर में केवल मंगल ही मंगल होता है,
गावे गली शहरों मंगल की चर्चा,
हर मंगल में मेरी दादी देती है परचा,
मंगल के अंदर मेरी दादी का वास है,
मंगल के चलते चलती मेरी हर साँस है,
प्रेम भाव से मंगल में जो नैन भिगोता है,
उस घर में केवल मंगल ही मंगल होता है,
मंगल करने वालो की ठाटे निराले,
तनडन नारायण दोनों उनके रखवाले,
हनुमत का उस घर में पहराभी होता है,
श्याम कहे वो प्राणी चैन से सोता है,
ये एहसास मुझको तो हर पल होता है,
उस घर में केवल मंगल ही मंगल होता है,