हरी मैं जैसो तैसो तेरो,
राख शरण गिरिघारी प्यारे,
तन भी तेरो मन भी तेरो,
मैं चरनन को चेरो।
दिन भी भूलूं, रैन भी भूलूं,
भूल जाऊं जग सारा।
तुम्हे ना भूलूं कुंवर कन्हैया,
चाकर दास तुम्हारा।
मैं बिना दाम को चेरो,
तन भी तेरो मन भी तेरो,
मैं चरनन को चेरो॥
निर्बल के बल सुनी नाथ मैं,
तेरे द्वार पे आया, हरी।
तेरी कृपा हो तो प्यारे,
सफल बने यह काया।
नष्ट हो पाप ताप सब मेरो,
तन भी तेरो मन भी तेरो,
मैं चरनन को चेरो॥
आशा और विशवास कहेंकि,
होगा दर्श तुम्हारा।
पागल मन फिर काहे डोले,
जो है श्याम सहारा।
अमर हो जनम जनम को फेरो,
तन भी तेरो मन भी तेरो,
मैं चरनन को चेरो॥
मेरो चलन देख मत रूठियो,
मोपे कृपा निधान।
याही बल यो दीन को,
सुनिये रस की खान।
सरसता मोपे दारो,
दूजो नहीं मैं नाथ,
अधम हूँ दास तिहारो।
करम उद्धार शिरोमिनी,
मैं जानो हूँ तू दुःख दलान,
प्यारे शरण पड़ेओ अब रावरी,
मेरो काहे को देखो चलन,
हरी मैं जैसो तैसो तेरो।
जानू नहीं पूजा पाठ,
सेवा भाव विधि निषेद,
प्रेम भक्ति ह्रदय नाही,
नि ही शास्त्र को विचार है।
संत पद सेवेओ नहीं,
गयो नहीं तीर्थ माहि,
यज्ञ दान ताप नहीं,
नहीं करम सुख सार है॥
पापी हूँ कुचाली हूँ,
अघम हूँ निकारो नीच।
मोह में एकहू नहीं गुण,
अवगुण हज़ार हैं।
श्याम भव तरन हित और ना उपाय कुछु,
दीन बंधू एक तेरो नाम को आधार है॥
हमने यह माना की हम,
दीदार के काबिल नहीं।
हुकुम हो तो पेश कर दूँ,
इस दिले नाचीज़ को,
मुफलिसों के पास कुछ,
सरकार के काबिल नहीं।
हम किसी काबिल नहीं,
यह बात है मानी हुयी,
काब्लिअत देखना,
सरकार के काबिल नहीं॥