जग रूठे मेरा सांवरिया सरकार न रूठे,
जीयु मैं जब तक श्याम तेरा दरबार न छुटे,
एक तेरे भरोसे पर मैंने अपनी ये नाव चलाई है,
लाखो तूफ़ान आये लेकिन मेरी नाव ने मंजिल पाई है,
हाथो से तेरे मेरी पतवार न छुटे जीउ मैं जबतक श्याम तेरा दरबार न छुटे,
जग रूठे सांवरिया...
जब जब ठोकर खा कर के मैं चलते चलते गिर जाता हु,
उस वक़्त भी अपने पास खड़ा मैं श्याम धनि को पता हु,
तुझसे जुड़े जो तार कभी वो तार न छुटे,जीउ मैं जबतक श्याम तेरा दरबार न छुटे,
जग रूठे सांवरिया...
बस एक तमना जीवन की हर जन्म में तेरा प्यार मिले,
हर हाल में खुश मैं रह लू गा अगर श्याम तेरा दीदार मिले,
श्याम नाम की मस्ती किस्मत वाला लुटे,
जीउ मैं जबतक श्याम तेरा दरबार न छुटे,
जग रूठे सांवरिया...