ना जाने तुम कब बोलोगे मैं तो गया हु हार,
तेरी मूर्ति नही बोलती बुलाया कई बार,
भुलाया कई बार श्याम भुलाया लखबार,
जबसे होश सम्बाला देखि है तस्वीर तुम्हारी,
घर वालो ने बदला तेरी महिमा है बड़ी निराली,
या तो निकल आओ मूर्ति से या तो करदो इनकार,
तेरी मूर्ति नही बोलती बुलाया ............
मूर्ति में क्यों तू रहता घरवालो से पूछा,
मेरी बात का उतर देना नही किसी को सुजा,
कैसा है सरकार तू मेरा कैसा तेरा दरबार,
तेरी मूर्ति नही बोलती बुलाया.......
जब मेरे बच्चे आ कर के मुझसे ये पूछे गे,
क्या जवाब दूंगा मुझपे सारे के सारे हसे गे ,
क्या तस्वीर लिए बेठे हो ये सब है बेकार,
तेरी मूर्ति नही बोलती बुलाया ........
साधारण ये मूर्ति नही है कहे पवन ये बता दो,
आज भरे दरबार कन्हिया चमत्कार दिखला दो,
मूर्ति से बाहर आ जाओ कम से कम एक बार,
तेरी मूर्ति नही बोलती बुलाया ......