आँखों में बस गई है मनमोहक छवि

आँखों में बस गई है मनमोहक छवि प्यारी,
मेरा जी चाहता है आओ हर साल बारी बारी,

खाटू में आके मैंने जलवा तुम्हारा देखा सूद बूद सी भूल बैठी जब ये नजारा देखा,
दीवानी हो गई मैं जबसे छवि निहारी,
मेरा जी चाहता है आओ हर साल बारी बारी,

दीवाने चलके पैदल लेके निशान आये,
टोली बनाकर बच्चे भुड़े जवान आये,
छोटे बड़े यहाँ सब बनके खड़े भिखारी,
मेरा जी चाहता है आओ हर साल बारी बारी,

खाटू नरेश तुम हो सांवरियां सेठ प्यारे,
सबको खजाना बांटे करते हो बारे न्यारे,
लेहरी को भा गई है छवि सोमये सी तुम्हारी,
मेरा जी चाहता है आओ हर साल बारी बारी,

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