श्याम ने मुरली मधुर बजाई।
निर्मल जीवन यमुना जल में लहर लहर लहराई॥
निर्मल गगन पवन निर्मल है,
निर्मल धरती का आँचल है।
निर्मल है तन, निर्मल है मन,
निर्मल रसकी रास रचाई॥
निर्मल स्वर में वेणु पुकारे,
बेसुध सुने वृषभान कुमारी।
निर्मल लोचन, निर्मल चित्तवन,
मन में निर्मल लगन लगाई॥