प्रेम का धागा तुझको कान्हा आई हूँ मन बांधने,
बीरा राखी का मान बढ़ा जा रे,
वादा प्रेम बंधन का निभा जा रे....
खुशकिस्मत मैं समझू खुद को किस्मत ऐसी पाई,
श्याम सलोने तेरे रूप में पाया अपना भाई,
दिल की खुशियां तुझसे कन्हैया आई हूँ मैं बांटने,
बीरा राखी का मान बढ़ा जा रे,
वादा प्रेम बंधन का निभा जा रे.....
भाई बहन का आया ये दिन इस दिन का क्या कहना,
ख़ुशी ख़ुशी अपने भाई से चली है मिलने बहना,
थाल सजा के डीप जला के आई तेरे आंगने,
बीरा राखी का मान बढ़ा जा रे,
वादा प्रेम बंधन का निभा जा रे....
जिस हाथों में थी मुरली उस हाथ में बाँधी डोरी,
हाथ जोड़ कर भाई से पाने कुंदन बहना बोली,
तुम भी अपना मुझे समझना खड़ी मैं तेरे सामने,
बीरा राखी का मान बढ़ा जा रे,
वादा प्रेम बंधन का निभा जा रे.....