श्यामा प्यारी प्यारी कुञ्ज बिहारी,
जय श्री हरिदास दुलारी,
श्यामा प्यारी प्यारी कुञ्ज बिहारी,
घनश्याम मेरी तुम बात सुनो,
तुम हमारी गलियन में आये न,
जो आये तो करुणाकरके मुरली ये मंद बजाइये न,
सरकाइये न और प्रेम वर्था,
हरी आये तो फिर जाइये न,
श्यामा प्यारी प्यारी कुञ्ज बिहारी
जय श्री हरिदास दुलारी,
श्यामा प्यारी प्यारी कुञ्ज बिहारी,
ऐसो कब करियो प्यारी जो,
तुम रोहि निशदिन ध्यान लगाउ,
टूबर झूठ बनवारे चुन चुन बचे सीट रसिकन के पाँव,
कुञ्ज गली में बितरत डोलू,
आने न मानु अनंत ना जानू,
ललित लड़े यही लालशा तुम को ही ये निकुंज वसाउ,
श्यामा प्यारी प्यारी कुञ्ज बिहारी,
चरनन की रज पाउ किशोरी,
जो रज शिव सनकादिक लोचन,
सो रज शीश चढ़ा हु,
बैठी रहु कुंजन के कोने श्याम राधिका गाऊ,
व्यास की छवि निरखन विमल विमल यश गाऊ,
श्यामा प्यारी प्यारी कुञ्ज बिहारी,
ये सूंदर रूप रखा जबसे तबसे लगता कुछ खोया खोया,
बेचैन हु चैन नहीं आता ना आयी नींद नहीं मैं सोया,
ये एक तुम्हारा जगाया हुआ नित आंसुओ से मुख रो रो के धोया,
मेरे बांके बिहारी मुझे अब न रुला दुनिया के लिए मैं बहुत रोया,
जय श्री हरिदास दुलारी,
श्यामा प्यारी प्यारी कुञ्ज बिहारी,