जब हाथ माँ का सिर पर तो कैसा है मुझको डर,
ओ शेरावाली माँ ओ मेहरा वाली माँ ऐसी मेहर तू मुझपे कर
तेरे दरबार की महिमा बड़ी निराली है कही पे दुर्गा लक्ष्मी कही पे काली है,
खड़ा है हाथ जोड़ कर तेरे डर पर सवाली है तेरे नाम की जोति ही जगा ली है,
तूने जो छोड़ी डोरी जाओ गए मैं किधर,
मेहरा वाली माँ ऐसी मेहर तू मुझपे कर,
माँ बने निर्बल भी बल शैली तेरे इशारे से मिठे निर्धन की कंगाली तेरे इशारे से,
तेरे इशारे से मुर्दे में जान आ जाये आँखे अन्धो ने पा ली माँ तेरे इशारो से,
अब मैं भी तेरी नाम सुमार कर जाऊ भव से तर.
मेहरा वाली माँ ऐसी मेहर तू मुझपे कर
माँ करो बरसात ममता की यही विनती मेरी दिखो दो दर्शन लखा को करो न देरी,
तेरे चरणों की धूल अगर माँ मैं पा जाऊ माँ खुल जाये गई फिर किस्मत मेरी,
माँ जाये मंजिल तू दिख ला दे डगर,
ओ शेरावाली माँ ओ मेहरा वाली माँ ऐसी मेहर तू मुझपे कर