आशा रख पगली आऐगे॥
क्यों धीरज खोये जाती है ,
हरी आयेगे हरी आयेगे
मग्रत्र्ती कुंगल झलाका के,फिर तिर्शी चितवन से मुस्काके,
कलियों का योबन शरमाके गुन्गारावल अलके बिखरा करके,
अम्रवित भर के मुरली में होरी के रसिया आयेगे,
आशा रख पगली आऐगे.....
हर बार निराली शान लिए,अंदाज भरी पहचान लिए,
कुछ सुंदरता का मान लिए,कुछ नखरो का तूफ़ान लिए,
हस्ते हस्ते दिल छीनेगे,भूली हुई याद दिलाये गये,
आशा रख पगली आऐगे......
मैया होगी लोरी होगी ,माखन होगा चोरी होगी,
वो काले होगे गोरी होगी छीना जपटी भर जोरी होगी,
गलियों में माखन बिखरेगा और ग्वाले मौज उडाये गये,
आशा रख पगली आऐगे...........
रजनी होगी तारे होगे,चंदा होगा प्यारे होगे,
छेड़े होंगे छारे होगे,यमुना होगी किनारे होगे,
लहरों पर नैया खेलेगी,सांवरिया,नन्दलाल पार लगाये गे,
आशा रख पगली आऐगे......