पागल हूँ मै बाबा तेरा पागल बन कर आता हु,
हर फागुन में पागलखाने की रट लगता हु,
पागल कह कर जग वालो ने मुझको दर से ठुकराया,
जग की माया जाल में रह कर पागल ही मैं कह लाया,
मूरख को तो आज भी मैं एक पागल चेहरा दीखता हु,
पागल हूँ मै बाबा तेरा .......
फागुन के दिन श्याम नाम के प्रेम का चोला पहन लिया,
मंदिर के दरवाजे आकर तेरा चेहरा देख लिया,
पागल श्याम के भगतो से मैं हर ग्यारस पे मिलता हु,
पागल हूँ मै बाबा तेरा..........
खाटू जाकर पगल होने की एक दवा लाता हु,
फागुन में हर एक प्रेमी को तेरे दर्श करवाता हु,
एक पर्ची में श्याम नाम लिख बच्चो को पिलाता हु,
पागल हूँ मै बाबा तेरा........
पागल का मतलब जो न समजे खाटू जा कर देख जरा,
पाके गल कर संवारिये से मन के धागे मीठे जरा,
मोहनी फिर खुद श्याम ही बोले रुक पागल मैं चलता हु,
पागल हूँ मै बाबा तेरा.......