रंग चढ़या मैनु साई दा,
शोर मचा है गली गली में साई दी रुतवाई दा,
तोड़े हमने सब रिश्ते इस झूठे संसार से,
पाई है हर खुशिया हमने साइके दरबार से,
लहराया है जग में झंडा तेरी जल वन अनुमाई दा,
रंग चढ़िया मैनू साईं दा....
जलाके पानी से जोति दूर अँधेरे कर डाले,
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई साई के है दीवाने,
घर घर में हुआ उजाला साई की बिनाई दा,
रंग चढ़िया मैनू साईं दा.....
भाग पपीहा कोयल बोले कुक रही कोयल काली,
गुलशन गुलशन फूल खिले है छाई हुई है हरयाली,
लाया ये संदेसा केशव सावन दी पुरवाही दा,
रंग चढ़िया मैनू साईं दा.....