आँख रोती रही पाँव धोती रही,
मेरे साई का हाथ मेरे सिर पे रहा,
चिंता काहे करे काहे दुःख से डरे,
मेरे साई ने मुझसे इतना कहा,
आँख रोती रही पाँव धोती रही,
आया है तू मेरी शरण में छोड़ के दुनिया छोड़ के जग,
थोड़ा सा बस मेरी रज रख ले छोड़ दे बाकी मुझ पर सब,
धीरज देते रहे साई कहते रहे बैठ के चरणों में मैं सुनता रहा,
आँख रोती रही पाँव धोती रही,
मेरे पास तो कुछ भी नहीं है,सब विस्वाश तुम्हारा है,
इस विश्वाश पे ही मुझको तो मारता ये जग सारा है,
मुझपे करने यकीन आस कुछ भी नहीं,
बस इतना सा मान ले तू मेरा कहा,
आँख रोती रही पाँव धोती रही,
मुझपे भरोसा करके जो भी तेरे दर पर आता है,
मेरा दवा है वो प्राणी खाली नहीं कभी जाता है,
कोई हो तो कहो ऐसे चुप न रहो,
काम किस का नहीं याहा पूरा हुआ,
आँख रोती रही पाँव धोती रही,