समझ मन मेरा गुरु बिना मुक्ति नाही ||टेर||
नीच वर्ण रविदास चमारा, गुरु किया मीराबाई |
विष का प्याला अमृत हो गया, गुरु महिमा तो जद गाई ||1||
चार वेद षट शास्त्र पढिया, पढिया सुखमुनि राई |
गया वैकुण्ठ मोड दिया पाछा गुरु ऐसा करे जद नाही ||2||
गुरु बिन कल्याण नही किसी का, लाख करो चतुराई |
भँवरलाल परस्या गुरुपद को ,धिन -धिन मौज सवाई ||3||
- रमेश राँगी भूतगाँव