है हमने प्यार वो पाया जो दुनिया पा नहीं सकती,
मगर कैसे कहे उसको जुबा गा भी नहीं सकती,
नहीं ये हमे दुनिया की दौलत में मिलता है
रूहानी प्यार बन रूहो की मुस्कानो में खिलता है,
इस की तुलना किसी से भी कभी की जा नहीं सकती,
है हमने प्यार वो पाया जो दुनिया पा नहीं सकती,
मचलती हूरो की महफ़िल फ़रिश्ते भी तरसते है,
जिसे पाने के लिए अनेको कष्ट सेह्ते है,
बिना प्रभु के दिए दौलत पाई जा नहीं सकती,
है हमने प्यार वो पाया जो दुनिया पा नहीं सकती,
ये जाने पुण्य है कब का ये किस तप का परताये,
हमारे बैठ कर सन्मुख हमारे रोज गुण गाये,
ये खुभी है उसकी जो व्यान किये जा नहीं सकती,
है हमने प्यार वो पाया जो दुनिया पा नहीं सकती,