हाथो में लेके भुजाली कूदी है राण में महाकाली,

हाथो में लेके भुजाली कूदी है राण में महाकाली,
खपर है हाथ भेरो है साथ नैनो में क्रोध की लाली,

दो हिस्सों में बाँट रही है असुरो के सिर काट रही है,
सिर पे जनून खपर में खून पी रही भर लू प्याली काली,
हाथो में लेके भुजाली कूदी है राण में महाकाली,

देहक रही है नैनो में जवाला गले में झूल रही मुंड माला,
अद्भुत अनूप विकराल रूप मत झाड़ रही मत वाली काली,
हाथो में लेके भुजाली कूदी है राण में महाकाली,

धरती ढोले टूटे तारे मरीति सेहम गई देख नज़ारे,
भूमि जिशोर मचे उदय शोर धरती है लाल कर डाली,
हाथो में लेके भुजाली कूदी है राण में महाकाली,

रूप भयंकर दिल में ममता नहीं बेदढक माँ की समता,
भूली है पेल वेळ पड़े शिव देर तू जीबिया लाल निकाली,
हाथो में लेके भुजाली कूदी है राण में महाकाली,
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