साँवरे की दया है बड़ी मौज करते है हम हर घडी,
हमने मांगी थी दो चार खुशियां उसने सुख की लगा दी झड़ी,
मौज करते है हम हर घडी,
साँवरे दर पे तेरे आके मिटे दुखड़े मेरे,
सुख की पुरवाई चलने लगी धुप दुःख वाली ढलने लगी,
सँवारे के चरण जो छुए हशत रेखा बदल ने लगी,
अब महल है शीतल झोपड़ी मौज करते है हम हर घडी,
साँवरे दर पे तेरे आके मिटे दुखड़े मेरे,
शाम का जब सहारा मिला जबसे है श्याम प्यारा मिला,
था जो तूफ़ान मझधार में वो भी बनके किनारा मिला,
उसकी सीधी नजर जो पड़ी,
मौज करते है हम हर घडी
साँवरे दर पे तेरे आके मिटे दुखड़े मेरे,
शुक्रियां श्याम सरकार का रखा चाकर जो दरबार का,
श्याम हो जिसका मालिक उसे डर सताए गा क्या हार का,
शक्तियां उसके संग खड़ी मौज करते है हम हर घडी,