भीख नहीं मुझे चाहिए दो मेरा अधिकार,
मैं नालायक हु बेटा पर तू तो समझदार,
भीख नहीं मुझे चाहिए दो मेरा अधिकार,
सारे जगत के जगत पिता हो सबने यही बताया है,
इसी लिए ये पुत्र तुम्हारा हक़ लेने हो आया है,
जो कुछ है पास तुम्हारे मैं हु उसका हकदार,
भीख नहीं मुझे चाहिए दो मेरा अधिकार
कैसे पिता हो तुम सांवरियां तरस नहीं तुम्हे आता है,
तेरे सामने पुत्र तुम्हारा नैन से नीर बहाता है,
तू भोग लगाए छपन भूखा मेरा परिवार,
भीख नहीं मुझे चाहिए दो मेरा अधिकार,
पिता पुत्र के इस रिश्ते को जग में नहीं बदनाम करो,
जो हक़ में आता है मेरे वो अब मेरे नाम करो,
मैं भीख नहीं मांगू गा आकर के यहाँ हर बार,
भीख नहीं मुझे चाहिए दो मेरा अधिकार