यो तो फाग खेलके आयो रे बरसाने से कन्हैया
बरसाने से कन्हैया बरसाने से कन्हैया
गयो अकड़के गातो बजातो,
रंग गुलाल अभीर उडातो,
यो तो मुँह लटकाकर आयो रे,
बरसाने से कन्हैया,
यो तो.........
बंसी मोर मुकुट नटखट को,
नज़र ना आवे याको पिलो पटको,
आके अंजन नैन लगायो रे,
बरसाने से कन्हैया,
यो तो ........
गयो तो बनके छल नन्दको,
देखो हाल आज ब्रिज चंदको,
यो तो कुलचा खा कर आयो रे,
बरसाने से कन्हैया,
यो तो.......