मैं बेकदर था कदर हो गई मेरे सांवरे की मेहर हो गई है,
मेरे सिर पे ऐसा हाथ फिराया ज़मी का था कटरा फलक पे बिठाया,
किया मुझपे एहसान मेरे सँवारे ने भिखारी को अपने गले से लगाया,
दुआ मांगी थी वो असर हो गई है,
मेरे सँवारे की नजर हो गई है,
मैं बेकदर था....
वृंदा में बनकर उड़ा जा रहा हु रेहमत से इसकी चला जा रहा हु,
ज़माना हुआ है हैरान सारा कहा से खुशिया मैं सभी पा रहा हु,
छुपा कर थी राखी जो बाते सभी से,
सभी को अब इसकी खबर हो गई है,
मैं बेकदर था....
कोई भी नहीं था मेरा इस जहाँ में,
कहु सच में यारो जमी आस्मां में,
यहाँ शर्मा जाता वही हार पाता,
चला आया जब से खाटू आसिया में,
वही हार मुझसे हार रही है,
वही जीत मेरी हमसफ़र हो रही है,
मैं बेकदर था.....