जग का रिश्ता कच्चा धागा

जग का रिश्ता कच्चा धागा साई का रिश्ता पकी डोर,
जग की और तू क्या देखत है देखता जा तू साई की और,
जग का रिश्ता कच्चा धागा....

संगी साथी अपने पराये कोई भी तेरे काम न आये,
मांगे फूल मिले अंगारे तूने क्या क्या धोखे खाये,
सुन ले अब साई के नग्मे बहुत सुना अब दुनिया का शोर,
जग का रिश्ता कच्चा धागा.....

मिटटी पत्थर चांदी सोना जिसने समजा एक बराबर,
वोही है केवल असली योगी छोड़ दे जो माया का चकर,
मांगले वो साई से शक्ति जो समजे खुद को कमजोर,
जग का रिश्ता कच्चा धागा.......

कोई न जाने साई जाने क्या क्या लेकर क्या क्या देगा,
बंदा लाख करे मन मानी वो होगा जो वो चाहे गा,
ताले से भी ताल नहीं सकती  होनी पर है किसका जोर,
जग का रिश्ता कच्चा धागा साई का रिश्ता पकी डोर,
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