श्याम जी मोहे रंग दीना अपने ही रंग में मोहे रंग देना,
देखु जिधर कन्हाई तू ही तू दे दिखाई ऐसा जादू कर दीना,
मोहे रंग दीना.....
जब से यदि श्याम चदरियाँ बन बन ढोलू बनके वावरियाँ,
चढ़ी प्रेम की सूली दुनिया को मैं भूली,
छलिये को भूल स्की न,
मोहे रंग दीना.....
भूल गई मैं हसना रोना,
जबसे मिला मुझे श्याम सलोना,
रंग डाला जीवन को मेरे फूल से मन को अपने वश में कर लीना,
मोहे रंग दीना.....
आँख खुली और टूटा सपना,
समज गई मैं तुहि है अपना,
दो दिन का है मेला छूटा जगत का झमेला,
बेधड़क है कुछ भी कही न,
मोहे रंग दीना.....