अगर ब्रज का बना दो मोर राधे ना चाहु कुछ और,
मन में मेरे तड़प बड़ी है,
चौकठ तेरी पे अँखियाँ आडी है,
राधे करदो करुणा की कोर,
राधे ना चाहु कुछ और,
अगर ब्रज का बना दो मोर....
तुझ बिन ना अब जी पाउगा,
राधे राधे ही गाऊगा,
कैसे पाऊ मैं ब्रिज की ठोर,
राधे ना चाहु कुछ और,
अगर ब्रज का बना दो मोर....
वनवारे के मन में समाई,
करनी है मुझको नाम कमाई,
अब जाना नहीं कही और,
राधे ना चाहु कुछ और,
अगर ब्रज का बना दो मोर....
राधे मुझको प्राणां प्यारी,
दिल की धड़कन रसिकन प्यारी,
अब मेरी संभालो डोर,
राधे ना चाहु कुछ और,
अगर ब्रज का बना दो मोर....