मजबूर हु मैं लाचार हु मैं

मजबूर हु मैं लाचार हु मैं,
मेरी मदत तुझी को करनी है,
साईं मेरे लज्पाल मेरी लाज तुझको को रखनी है,
मजबूर हु मैं लाचार हु मैं,

बाहर से मैं खुश खुश दीखता,
बिहतर से दुखयारा,
एक भयानक सपने जैसा लगता है जग सारा,
एक चिता के जैसी चिंता पल पल भीतर जलती है,
साईं मेरे लज्पाल मेरी लाज तुझको को रखनी है,
मजबूर हु मैं लाचार हु मैं,

रिश्तो का ये कर्ज ये कैसा उतर नही क्यों पाये,
जितना भी झुकता मैं करता उतना बढता जाये,
तकदीरो का खेल है सारा इंसान तो कट पुतली है,
साईं मेरे लज्पाल मेरी लाज तुझको को रखनी है,
मजबूर हु मैं लाचार हु मैं,

जीवन का हर एक भरोसा कच्चे धागों जैसा,
बंध जाने से पहले टूटे बंधन मन का कैसा,
साहिल की हर एक तसली आखिर झूठी निकली है,
साईं मेरे लज्पाल मेरी लाज तुझको को रखनी है,
मजबूर हु मैं लाचार हु मैं,
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