सुनले ओ खाटू वाले दुनिया के है सताए,
सबने रुलाया मुझको एक तू ही तो हसाये,
सुनले ओ खाटूवाले....
जीवन की तकलीफो में नहीं कोई काम आया,
जिस को समझता था अपना वही देख मुस्कुराया,
रिश्तो के रस्ते भी थे मुझको बंद पाये,
सुनले ओ खाटूवाले.....
होती न जो तुम्हारी रेहमत की छांव मुझपर,
अब तक झुलस ही जाते ताप्ती हुई धरा पर,
शीतला मिलती दर पे जो जाये वोही पाये,
सुनले ओ खाटूवाले...
हारे हुए का तुम हो कलयुग में एक सहारा,
जिसने किया भरोसा जिसने तुझे पुकारा,
राजू सदा ही ऐसे गुणगान तेरा गाये,
सुनले ओ खाटूवाले...