करामात हो गई होठ तो हिले नहीं और बात हो गई,
जगजाहिर तेरी मेरी मुलाकात हो गई,
करामात हो गई होठ......
जन्म जन्म की नींद से मोहन तूने मुझे जगाया,
संतो की सत्संग में प्रभु तूने मुझे बैठाया,
ये तो सबसे बड़ी सोगार हो गई,
करामात हो गई होठ हिले नहीं बात हो गई
अगर तुम्हारे रहो में मन मोहन मैं लूट जाऊ,
दुःख भरी दुनिया में आने जाने से छूट जाऊ,
एक नाई ज़िंदगी की शुरुवात हो गई,
करामात हो गई होठ हिले नहीं बात हो गई
बना था सूंदर लाल तमाशा इस जग की महफ़िल में,
प्रेम की लहर उठाई मोहन तूने मेरे दिल में,
प्रेमियों में कुछ मेरी भी औकात हो गई,
करामात हो गई होठ हिले नहीं बात हो गई