ओ सँवारे तेरा खाटू न छूटे रे

ओ सँवारे तेरा खाटू न छूटे रे,
परवाह नहीं है चाहे जग सारा रूठे रे,
ओ सँवारे तेरा खाटू न छूटे रे,

मस्ती में हु मस्तानी हो गई मलंग मैं,
रंग गये अपने सँवारे की रंग में,
प्यार की ये पावन डोरी कभी ना ही टूटे रे,
ओ सँवारे तेरा खाटू न छूटे रे,

जितने है रिश्ते नाते सारे ही मैं तोड़ दू,
तुम ही बताओ कैसे खाटू आना छोड़ दू,
खाटू न छुड़वाना तू सांसे चाहे छूटे रे,
ओ सँवारे तेरा खाटू न छूटे रे,

ग्यारस तेरी बाबा खाटू जो मैं आउ जी करता है फिर लौट के न जाऊ,
रिश्ता बना है जो कभी नाही टूटे रे,
ओ सँवारे तेरा खाटू न छूटे रे,

अब तो यही पी जीना और है मरना,
चरणों से तेरे बाबा दूर नहीं करना,
कितना ही चाहे योगी तू न कभी रूठे रे,
ओ सँवारे तेरा खाटू न छूटे रे,
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