तेरे दरबार में दाता बड़ा आराम मिलता है,
गम ही गम जमाने में यहाँ पर प्यार मिलता है,
बहुत चौखट तो है देखी,
मगर तुझसी नहीं देखी,
बिगडे नसीब थे जिनके,
खुली किस्मत यहां देखी,
पहली ये बार नहीं दाता मैंने हरबार देखा है
तेरे दरबार में............
दयालु तुझसा ना पाया,
झोली फैलाके देखा था,
मिली भिक्षा हमें तुमसे,
लुटाते प्यार देखा था,
प्यार नजरों में हे बाबा हमने बेशुमार देखा था,
तेरे दरबार में............
गले तुमने लगाया है,
अपना हमको बनाया है,
तेरे ही प्यार में हमने,
सारी खुशियों को पाया है,
उषा से तोड ना देना जो रिश्ता ये बनाया है
तेरे दरबार में............