आशियाना मिल गया ज़िंदगानी को मेरी
सांवरे जबसे ये खाटू दर मिला
अब ठिकाना बन गया खाटू का दर ये तेरा
लग रहा सांवरे मुझको घर मिला
तेरी वजह से हो गया सब हासिल
नहीं था मैं इस रेहमत के काबिल
तेरे करम से टल गयी हर मुश्किल
क्युंकि तुम ही हो मेरे मालिक
जब कदम पहला मेरा खाटू धरती पर पड़ा
मिल गयी हर ख़ुशी दिल को यूँ लगा
सोचा ना था जो कभी मिल गई वो भी ख़ुशी
रंजो गम रब मेरा दूर हो गया
तेरी वजह से हो गया सब हासिल
नहीं था मैं इस रेहमत के काबिल
तेरे करम से टल गई हर मुश्किल
अब तुम ही हो मेरे मालिक '
दिल की अब ये ही रज़ा खाटू से मैं जाऊं ना
उम्र भर बस तेरी बंदगी करूँ
मुझको कोई भी गिला अब किसी से ना रहा
हाथ जोड़ कर यही श्याम मैं कहूं
तेरी वजह से हो गया सब हासिल
नहीं था मैं इस रेहमत के काबिल
तेरे करम से टल गई हर मुश्किल
अब तुम ही हो मेरे मालिक