हल कर सका नहीं कोई ऐसा सवाल हु,
हनुमान मेरा नाम मैं अंजनी का लाल हु,
आदेश कीजिये मैं रुख लेहरो का मोड़ दू,
लंका में जाकर रावण की गर्दन मरोड़ दू,
मुझे मौत का नहीं है दर कालो का काल हु,
हल कर सका नहीं कोई ऐसा सवाल हु,
पल में हज़ारो कोस का रास्ता में नाप ता,
यमराज मेरी दहशत से थर थर है कांप ता,
आकाश छू लू एक शन में वो मैं उछाल हु,
हल कर सका नहीं कोई ऐसा सवाल हु,
जालिम हो मौत कितनी भी इसे कुछ न करने दू,
भैया लखन को मैं प्रभु हरगिज न मरने दू,
देखे गी सारी ये दुनिया वो मैं कमाल हु,
हल कर सका नहीं कोई ऐसा सवाल हु,
मन की गति से उड़ चले सबको पछाड़ के,
भुटी थी जिस पे वो पर्वत लाये उखाड़ के,
छूटे नहीं उसे संकट जिसकी मैं ढाल हु
हल कर सका नहीं कोई ऐसा सवाल हु,