ऐसी मस्ती चढ़ा मेरे भी,
राम नाम गुण गाऊँ,
सालासर कदे मेंहदीपुर में,
हर महीने आऊँ,
राम नाम धुन गाएँ जां,
बाबा बस्ती बस्ती,
चढ़ा दे बाबा हों,
तेरे नाम की मस्ती।।
तुलसीदास पे चढ़ी थी मस्ती,
होगया तेरा दीवाना,
कुटुम्ब कबीला तज के सारा,
राम नाम गुण गाना,
मुर्ख के जाणः,
बाबा तेरी हस्ती,
चढ़ा दे बाबा हों,
तेरे नाम की मस्ती।।
राजपाल यो भक्त तेरा,
जिन्हें तेरे नाम का साहरा,
तेरे भवन में करे आरती,
बैठ के कुणबा सारा,
चौबीस घंटे हो,
तेरे नाम की चस्ती ज्योती,
चढ़ा दे बाबा हों,
तेरे नाम की मस्ती।।
तेरी मस्ती में भक्त मुरारी,
जग में नाम जणागया हो,
इनका चेला ‘नरैन्द्र कौशिक’,
तेरै कारण छा गया हो,
‘कप्तान शर्मा’ की,
पार लगादे किश्ती,
चढ़ा दे बाबा हों,
तेरे नाम की मस्ती,
चढ़ा दे बाबा हो,
तेरे नाम की मस्ती.....