तु राजा की राज दुलारी में सर्फ लगोटे आला सु,
भांग रगड के पिआ करू में कुण्डी सौटै आला सु,
में अवधुत दर्शीनी बाबा राग देख के डर जागी,
सौ सौ नाग रहे गल में तु नाग देख के डर जागी,
में राख घोल के पिआ करू मेरा भाग देख के डर जागी,
धरती उपर सोया करु मेरी सहत देख के डर जागी,
एक कमण्डल एक कटोरा में फुटे लोटे आला सु,
भांग रगड के..........
तेरे सौ सौ दासी दास रहे मेरे एक भी दासी दास नही,
महला आला सुख चहिए अडे संतरज चौपड तास नही,
तु बागा की कोयल से अडे बर्फ पडे हरि घास नही ,
साल दुसाले मांगेगी मेरे कम्बल तक भी पास नही,
तु साहुकार गुजारे आली मे बिल्कुल टोटे आला सु,
भाग रगड के .....
तु पालकियां में सैर करे में पैदल सवारी करया करु,
तु महलो मे रहने वाली में बिन घरबारी रहया करु,
प्रर्वत उपर लगा समाधी मे अटल अटारी रहया करू,
तैने बडिया भोजन मिले खान ने में पेट पुजारी रहया करू,
तैने बदडा चाहिए जुल्मों वाल मे लम्बे चौटे आला सु,
भाग रगड के.......
मे कहरा सु पार्वती तैने बह्या करवाना ठीक नहीं,
मेरे संग मे बच्चों आला खेल खिलाना ठीक नहीं,
में भांग रगड के पिआ करू मैने तैल पिलाना ठीक नहीं,
मेरी जटा मे गंग बहे मैने मोड बधाना ठीक नहीं,
माघेराम बोझ मरजागी मे जबर भरोटे आला सु,
भ़ाग रगड के पिआ करु में कुंडी सौटे आला सु,
संदीप स्वामी
खिजुरीवास,अलवर