जय चामुंडा माता मैया जय चामुंडा माता।
शरण आए जो तेरे सब कुछ पा जाता।।
चंड मुंड दो राक्षस हुए हैं बलशाली।
उनको तूने मारा क्रोध द्रष्टि डाली।।
चौंसठ योगिनी आकर तांडव नृत्य करें।
बावन भैरो झूमे विपदा आन हरे।।
शक्ति धाम कहातीं पीछे शिव मंदर।
ब्रह्मा विष्णु मंत्र जपे अंदर।।
सिंहराज यहां रहते घंटा ध्वनि बाजे।
निर्मल धारा जल की वंडेर नदी साजे।।
क्रोध रूप में खप्पर खाली नहीं रहता।
शांत रूप जो ध्यावे आनंद भर देता।।
हनुमत बाला योगी ठाढ़े बलशाली।
कारज पूरण करती दुर्गा महाकाली।।
रिद्धि सिद्धि देकर जन के पाप हरे।
शरणागत जो होता आनंद राज करे।।
शुभ गुण मंदिर वाली ‘ओम’ कृपा कीजे।
दुख जीवन के संकट आकर हर लीजे।।