सजने का है शौकीन कोई कसर न रह जाये,
ऐसा करदो शृंगार सब देखते रह जाये,
जब संवारा सजता है सारी दुनिया सजती है,
उसे इतर छिड़क ते है सारी दुनिया महक ती है,
भागो का हर एक फूल गजरे में लग जाये,
ऐसा करदो शृंगार सब देखते रह जाये,
जब कान्हा मुस्काये शीशा भी चटक जाए,
चंदा भी दर्शन को धरती पे उतर जाये,
सूरज की किरणों से दरबार चमक जाये,
ऐसा करदो शृंगार सब देखते रह जाये,
क्या उसको सजाओ गे जो सबको सजता है,
क्या उसको खिलाओ गए जो सबको खिलत्ता है,
बस भाव के सागर में मैरा श्याम डूब जाए,
ऐसा करदो शृंगार सब देखते रह जाये,
बस इतना ध्यान रखना इतना न सज जाए,
इस सारी श्रिस्ति की उसे नजर न लग जाये,
ये शुभम रूपम तेरे भावो के भजन गाये,
ऐसा करदो शृंगार सब देखते रह जाये,