जब दर्द हो भक्तों को,
मेरे साई को भी होता,
जब नींद ना आये हमे मेरा साई भी नहीं सोता
जब दर्द हो भक्तों को...
इक साई ही है जग में हर रिश्ते निभाता है,
हर मुश्किल में बाबा बस दौड़ा आता है,
कोई और नहीं दीखता साई सामने जब होता,
जब नींद ना आये हमे मेरा साई भी न सोता,
जब दर्द हो भक्तों को,
जो डोर बन्धी उसको हम कैसे छुड़ाए गे,
जो है उपकार किये हम कैसे भुलाये गे,
मेरी मिट जाती हस्ती अगर साई नहीं होता,
जब नींद ना आये हमे मेरा साई भी न सोता,
जब दर्द हो भक्तों को,
बाबा ने किरपा अपनी जब से बसराई है,
मेरी मुरझाई बगियाँ फिर से महकाई है,
हमे इतना दिया उसने कभी कम ही नहीं होता,
जब नींद ना आये हमे मेरा साई भी न सोता,
जब दर्द हो भक्तों को,