मुझको ज़माना रास नहीं है,
मुझको किसी की आस नहीं है,
शिरडी के महाराजा की,
मैं बिटिया बाबा की,
सच की डगर पे चलना भक्तो बाबा का सन्देश यही है,
इक है मालिक सबका भगतो बाबा का उपदेश यही है,
सतय कथा विद्याथा की शिरडी के महाराजा की,
मैं बिटिया बाबा की...
बाबा के चरणों में अपना शीश झुकाने आई हु,
चरणों में इन के श्रद्धा के पुष्प चढ़ाने आई हु मैं,
किरपा है मेरे साई जी की,
किरपा है मेरे बाबा जी की,
शिरडी के महाराजा की,
मैं बिटिया बाबा की...
प्रेम से बोलो जम के बोलो जैकारा तुम साई जी का,
सच कहती हु सुन लो भक्तो होगा इशारा साई जी का,
ममता है इनमे माता की शिरडी के महाराजा की,
मैं बिटिया बाबा की......
भारत की एक नारी हु मैं साई की सुन लो प्यारी हु मैं,
आज दुखो से हारी हु मैं तन मन उनपर वारि हु मैं,
डोर है टूटी आशा की शिरडी के महाराजा की,
मैं बिटिया बाबा की