शिरडी तेरी तुझको पुकारे कब आओगे मेरे तुम साईं,
क्यों आने में देर लगाई कब आउगे मेरे तुम साईं,
दर्द से धरती डोल रही है,
पाप पुनाये को तोल रही है,
मेरी शिरडी बोल रही है मन में जोत समाई,
कब आउगे मेरे तुम साईं
सांच सवर के टूटे धागे,झूठ कपट है सब से आगे,
अंधकार में फसा है मानव कौन करे रोशनाई,
कब आउगे मेरे तुम साईं...
पानी से जो दीप जलाये,
सबका मालिक वो कहलाये,
दारा को जी मीत तो चाहे तेरे चरणों की परछाई,
कब आउगे मेरे तुम साईं