एक फकीरा शिरडी में

बिगड़ी बात बनाते देखा एक फकीरा शिरडी में,
दुखड़े दूर भगाते देखा इक फकीरा शिरडी में,

बड़े निराले काम है उसके क्या कहन्दे क्या कहने है,
सब को बांटे हीरे मोती आप फकीरी पहने है,
सोये भाग जगाते देखा इक फकीरा शिरडी में,

मीठी मीठी वाणी उसकी कानो में रस गोले है,
क्रोध कभी न करता वो प्रेम की भाषा बोले है,
रब से तार मिलाते देखा इक फकीरा शिरडी में,
दुखड़े दूर भगाते देखा इक फकीरा शिरडी में,

कहता है सब वैर मिटा के छोड़ो झगड़े धर्मो के,
मिल जल के रहना बन के साथी अच्छे कर्मो के,
झगड़े वैर मिटाते देखा इक फकीरा शिरडी में,
दुखड़े दूर भगाते देखा इक फकीरा शिरडी में,

मर न जाये अंदर का इंसान बचा के रखना तुम,
सागर अपनी अच्छी सी पहचान बजा के रखना तुम,
सच्ची राह दिखते देखा इक फकीरा शिरडी में,
दुखड़े दूर भगाते देखा इक फकीरा शिरडी में,
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