चारों ललना प्रकट भये आज, अवध में लडुआ बटें,
अरे झीनो झीनो उडत गुलाल अवध में लडुआ बटें ,
मुतियन चौक पुराओ सारी बहना,
परदा लगाओ लडीदार,
अवध में लडुआ बटें,
गैया के दूध की खीर बनाओ,
और ब्राह्मण जिमाओ, हजार,
अवध में लडुआ बटें ,
स्वर - पं पूज्य श्री अशोक कृष्ण ठाकुर जी