हिंडोर गोवर्धन मांडू

कुण्ड कुण्ड चरणामृत दे, गिरवर की परिक्रमा दे,
मानसी गंगा बल दे.....

हिंडोर गोवर्धन मांडू, तू बड़ा और तेरे ते बड़ा ना कोय,
चार कुण्ड का....
लाडला रे तने नवे सब कोय....

हिंडोर आज दीवाली दमदमी, और मावस गिरडी रात गोवर्धन पुजे,
गुजरी रे लिया लवारा साथ, एक लवारा,
खो गया रे ढूंढा सारी रात, ढूंढते ढूंढते,
वो गया रे गयी बिरानी सिम, सिम का राजा,
न्यू कहे रे क्यू गई मेरी सिम, बेटी दूँगा,
लाडली रे सो घोड़े सो ऊँट, ऊँट चढेते,
ढह पडरे घोडा चढ़े मर जाये, हाथी दूँगा,
नवाब कह रहे हर हर करता, जाये.....

हिंडोर गाडर काटू लग लगी, और काटू हरियल बांस काट बनादूँ,
बासुरी रे बाजे बारू मास, बजती आई,
बासुरी रे उड़ती आई धूल, गाते आये,
ग्वारिये रे गोवर्धन कित नीक दूर, गोवर्धन पे ते,
धी चवेरे, रई धमड के ले, बिलोवन आली,
लक्ष्मी रे भर भर घड़वे दे......

हिंडोर धोले धोले धन चरे, अर धोली मेरी गाय सिंह बड़े धन,
पाव से रे सब में अगाड़ी जाये, जाये बड़ी इक,
नार के रे आई सिंह तुड़ाये, देखो पंचो,
चौधरी रे घोड़ी भली या गाय, घोड़ी सुसरी का,
के भली रे भली बिचारी गाय, जिसके जाये,
हल चलेरे कोठी ने करे हलाल......

हिंडोर कीड़ी ब्याहई, झुण्ड में रे खीस दिया मन तीस हाली पाली,
छिक लिये रे दो कीड़ी ने शीश, कीड़ी चाली,
बाप कहरे नो मन सुरमा साल, हाथी मारा,
हाथ में रे ऊँट लिया लटकाये, घोड़ा मारा,
काख में रे फिर भी रीति जाये......
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