है चारों ग्रंथ में साईं

है चारों ग्रंथ में साईं हरी अनंत में साई,
चारो दिशाओ में है बाबा मेरे पथ पंथ में साई,
है चारों ग्रंथ में साईं ...

चोला फकीरी का पहन कर घर घर मांगे भीख,
काया कंचन हो उसकी जो मान ले इनकी सीख,
संतो के संत है साई है चारो और ग्रन्थ में साई,

कोई बोले साधु जिसको कोई पीर फकीरा,
कोई लाग रुपी कलयुग में भी साई है सच्चा हीरा,
आधी में अंत में साई है चारो और ग्रन्थ में साई,

आत्मा सच्ची मन है मेला तन मिटी का ढेर,
प्रेम की भाषा मीठी बोली श्रद्धा सुबरी के बेर,
वर्ण जीवन तुम्हे साई है चारो ग्रंथ में साई,
है चारों ग्रंथ में साईं .....
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