ओहदा डम डम डमरू बोल्दा जदो शिव पी लेंदा भंग,
फेर धरती अम्बर ढोल दा सब देख रह जांदे दंग,
ओहदा डम डम डमरू बोल्दा .........
पी के प्याला शम्भू रंग की विखावे,
मस्ती दे विच तीनो लोक नचावे ,
कैसी मस्ती चढ़ गई शिव न कैसा चड़ियाँ रंग,
ओहदा डम डम डमरू बोल्दा
खोल के जटावा शिव लेंदा है हुलारे,
वख दुनिया तो आज होये ने नजारे,
वखारा नाच है शिव शंकर दा वखारा सब तो ढंग,
ओहदा डम डम डमरू बोल्दा ....
शिव भोले नाथ जदो डमरू भजावां देवी देवते भी फूल वर सावन,
सूरज महिमा शिव दी लिखदे लकी महिमा शिव दे गोंडा होक मस्त मलंग
ओहदा डम डम डमरू बोल्दा