माखन चोर, नन्द किशोर

माखन चोर, नन्द किशोर, मन मोहन, घनश्याम रे ll,
कितने तेरे रूप रे, कितने तेरे नाम रे

देवकी माँ ने, जनम दिया, और मईया यशोदा ने पाला ll
तू गोकुल का, ग्वाला वृंदा, वन का बांसुरी वाला
हो आज तेरी बंसी, फिर बजी, मेरे मन के धाम रे,
कितने तेरे रूप रे, कितने तेरे नाम रे
माखन चोर, नन्द किशोर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

काली नाग के, साथ लड़ा तूँ, ज़ालिम कँस को मारा ll
बाल अवस्था, में ही तूने, खेला खेल ये सारा
हो तेरा बचपन, तेरा जीवन, जैसे एक संग्राम रे
कितने तेरे रूप रे, कितने तेरे नाम रे
माखन चोर, नन्द किशोर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

तूने सब का, चैन चुराया, ओ चितचोर कन्हैया ll
वो जाने कब घर, आए देखे, राह यशोदा मैया
अरे व्याकुल राधा ढूंढे श्याम, न आया हो गई शाम रे
कितने तेरे रूप रे, कितने तेरे नाम रे
माखन चोर, नन्द किशोर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अपलोड करता- अनिल भोपाल बाघीओ वाले
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