बीर बानिया पुलिस ड्राइवर नहीं किसे के प्यारे,
भीतरले का भेद नहीं दे मिठे बोलैं सारे,
इन बीरां के कारण लोगो आग लंक म्हं लागी,
गौतम के घर गया चन्द्रमां बण्या दुष्ट निर्भागी,
बाली और सुग्रीव चले गये राड़ बीर पै जागी,
बड़े बड़े ऋषि मुनि हुए त्यागी और बैरागी,
जिसनै करया प्रेम वीर तै वैं नर धोखे म्हं मारे,
जिसतै ज्ञान राम नैं दिया वो नादान नहीं सै,
मित्र का कुछ ख्याल करै इतना ज्ञान नहीं सै,
इन चारों तै बढ़कै नैं कोए बेईमान नहीं सै,
शीश काटकै आगै धरदे पर बणीये कै स्यान नहीं सै,
बेशक बालक भूखे मरज्यां पर मेरे दे दे दाम करारे,
जितणी पुलिस की बेईमानी म्हं ईब गिणा द्यूं सारी,
देहली भीतर पां धरते ही तकैं यार की नारी,
मिठै बोलै राजी होकै करवा कै खातिरदारी,
फेर चलती बरियां न्यू सोचैं यो यार मिलै चोर जुवारी,
घाल हथकड़ी आगैं करले दीखैं दिन म्हं तारे,
अन्तकर्ण तै न्यूं बोले भाई नहीं प्रण तैं हालैंगे,
मेरे यार तूं कद कद आवै तेरे ब्याह म्हं मोटर ले चालैंगे,
तेरे पीस्यां का मोटर म्हं तेल तलक ना घालैंगे,
पर छोरे नैं न्युं जाण नहीं थी ये मौके पै टालैंगे,
इन यारों की संगत तज दे मेहरसिंह ये चारो लाजमारे,
मेहरसिंह से रागनी सुनने वाले कुछ ड्राइवर,
उनकी शादी में अपनी मोटर लेकर चलने की कहते थे,
जब शादी की तिथि आई उन्होंने मोटर समेत आने की हामी भर ली,
परन्तु समय पर नहीं आए जब बैलगाड़ी में बारात गई तथा रास्ते में यह रागणी जोड़ी।
संदीप स्वामी