मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
क्या बोले फिर क्योँ बोले,
हीरा पाया बांध गठरिया,
हे बार बार वाको क्यों खोले,
मन मस्त हुआ फिर ......
हंसा नावे मानसरोवर,
हे ताल तलैया में क्यों नावे ,
मन मस्त हुआ फिर .......
हलकी थी जब चढ़ी तराजू,
हे पूरी भई तब क्या तोलै,
मन मस्त हुआ फिर ......
सूरत नाना में भी मत वाली,
मनवा पी गई अल बोले,
मन मस्त हुआ फिर ......
कहै कबीर सुनो भाई साधो,
हे साहिब मिल गा सबुरी में,
मन मस्त हुआ फिर ......