कबीर हम सब पैदा हुए,
और जग हँसा हम रोय,
ऐसी करनी कर चलो,
हम हँसे जग रोय।
तेज सके तो चेत बावळा,
घंटी लारली बाजी,
बीरा म्हारां जग सपना री बाजी।
सपने रंक राजा बण बैठ्यो,
घर हस्ती सुर ताजी,
बतरस भोजन थाल सोवणा,
भाँत भाँत री भाजी,
ओ बीरा म्हारां जग सपना री बाजी।
सपने पुत्र बांझड़ी जायो,
मंगल गायो हुई राजी,
जाग उठी जब बुद्धि निपूती,
घणा ऊदासी मांझी,
ओ बीरा म्हारां जग सपना री बाजी।
वेद पुराण और भागवत गीता,
पढ़ रहे पंडित काजी,
देव लोक देव और दानव,
बड़े बड़े राजाजी,
ओ बीरा म्हारां जग सपना री बाजी।
रजू में सरप सीप में रूपा,
यूँ जग मीथ्या बाजी,
चरण दास संता रे शरणे,
राम भजो सो राजी,
ओ बीरा म्हारां जग सपना री बाजी।
तेज सके तो चेत बावळा,
घंटी लारली बाजी,
बीरा म्हारां जग सपना री बाजी